अनथक
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संस्कार जीवन के सभी क्षेत्रों और विभागों पर आच्छादित है | सुसंस्कार नहीं हैं ,तो कुभाव आएगे और मनुष्य को अपराध की ओर ले जाएंगे | अमर्यादित बनाएंगे | संस्कारों से बंधा व्यक्ति गंभीर अपराध कर ही नहीं सकता | डर मानव प्रकृति के विरुद्ध चीज़ है , इसीलिए महान संत अरबिंदो ने डर से सर्वथा दूर रहने की शिक्षा दी है , क्योंकि यह व्यक्तित्व का नाशक है | सामयिक रूप से इसे व्यवहृत किया जा सकता है | दीर्घकालिक केवल सुसंस्कारों को ही बनाना चाहिए |
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