अनथक
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सभी जानते है और यह हकीक़त भी है कि हमारा देश एक लोकतान्त्रिक देश है . यहाँ के सभी नागरिकों को बिना किसी भेद-भाव के समान और बराबर के संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं . हमारे देश के संविधान ने ऊँच- नीच , छूत – छात, स्त्री – पुरुष भेदभाव एवं जातीय श्रेष्ठता के अमानवीय दुर्गुणों को जड़मूल से ढहा दिया है एवं नागरिकों की उन्नति – प्रगति में बाधक तत्वों को यथासंभव समाप्त कर दिया है , परन्तु इस सच्चाई से कौन इंकार कर सकता है कि इन संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद यहाँ यह सब कुछ मौजूद है !!! कब होगा इनका अंत ??? क्या क्षणिक आक्रोश से ?
देश – समाज के सभी हित – चिन्तकों को एकजुट होकर ठोस प्रयास करने की ज़रूरत है .
DR. R. P. Srivastava
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