वाचर ने 70 जॉब कार्ड और पासबुक हासिल करके अपने आकाओं को सौंपा , सब मालामाल हुए , काम करनेवाले दर्जनों असली मजदूर बिना मजदूरी के दर – दर ठोकर खाने को मजबूर
हमारे देश में भ्रष्टाचारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि एक ओर बलरामपुर [ उत्तर प्रदेश ] में मनरेगा में भीषण भ्रष्टाचार की जाँच सीबीआई द्वारा की जा रही है , वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचारियों का भ्रष्टाचार भी पूर्व की भांति जारी है | अब भ्रष्टाचारियों ने सरकारी धन की लूट के लिए हैरतअंगेज तौर – तरीक़े ईजाद कर लिए हैं | ज़िले के सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग के बनकटवा रेंज में मनरेगा भ्रष्टाचार का जो मामला सामने आया है , वह बड़ी कूट – रचना और धन हड़पने के व्यापक स्वरूप की ओर इंगित करता है |
प्राप्त विवरण के अनुसार , ग्रामीण मज़दूरों से वन अधिकारियों ने महीनों काम लेकर उन्हें लाखों रुपये मज़दूरी नहीं दी और जिन लोगों ने काम किया ही नहीं उनसे जॉब कार्ड और पास बुक लेकर उन्हें भुगतान कराया और उनसे बैंक से रूपये निकलवाकर उन्हें नाममात्र की धनराशि देकर शेष पूरी धनराशि वनाधिकारियों ने ले ली | उदाहरण के रूप में ग्राम – टेंगनवार निवासी पेशकार नामक ग्रामीण के बैंक अकाउंट में अट्ठारह सौ रूपये डाले गये और उससे यह पूरी धनराशि निकलवायी गयी | वनाधिकारियों व कर्मचारियों ने उसे तीन सौ रूपये दिए और डेढ़ हज़ार रूपये ख़ुद डकार गये | इस प्रकार बिना काम किये पेशकार को तीन सौ रूपये मिल गये और जिन्होंने कई महीने तक काम किये , वे मजदूर अपनी मज़दूरी पाने के लिए दर – दर भटक रहे हैं | उन्हें दो जून खाने के लाले पड़ गये हैं | [ कुछ तथ्य ‘ कान्ति ‘ साप्ताहिक के 29 जून 14 के अंक में प्रकाशित किये जा चुके हैं | ]
सुविज्ञ सूत्रों से पता चला है कि पूर्व फारेस्ट गार्ड नूरूल हुदा , वाचर सिया राम और वाचर राम किशुन की इस पूरे भ्रष्टाचार प्रकरण में प्रमुख भूमिका है , लेकिन अन्य अधिकारियों की भूमिका भी जाँच का विषय है | नूरुल हुदा और सिया राम तथा राम किशुन ने लगभग पन्द्रह से अधिक मजदूरों से महीनों काम लिए और उन्हें मजदूरी नहीं दी | नुरुल हुदा से जब मजदूर अपनी मजदूरी मांगने जाते हैं , तो वह उन्हें जेल भेजवाने की धमकी देता है , जबकि मजदूरों के काम की हाज़िरी रजिस्टर में दर्ज करनेवाला वाचर राम किशुन कहता है कि जब काम करते तो पैसे पाते | उल्लेखनीय हैं कि राम किशुन ने ग्रामीणों को बिना काम किये कुछ रूपये देने की बात कहकर लगभग सत्तर लोगों के जॉब कार्ड और पासबुक हासिल किये और उन्हें धनराशि भुगतान करा कर वनाधिकारियों और कर्मचारियों ने धन हड़प लिए | यह भी ज्ञातव्य है कि पूर्व रेंजर अशोक चन्द्रा ने काम करनेवाले असली मजदूरों की फोटोग्राफी करायी थी , जो और मजदूरों की हाज़िरी उनके काम करने का सबूत है | अगर ये सबूत भी मिटा दिए गये हैं तो सीबीआई को अपनी जाँच में इसे भी प्राथमिक तौर पर लेना चाहिए |
पीड़ित मजदूरों ने इस बारे में पिछले दिनों बलरामपुर के जिलाधिकारी मुकेश चन्द्र से गुहार लगाई थी और तहसील दिवस पर शिकायत पत्र सौंपा था | एक बार फिर उन्होंने पुनः जिलाधिकारी ध्यान आकृष्ट किया है और उनको रजिस्टर्ड शिकायती पत्र भेजा है | साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री , वन मंत्री , आयुक्त , संबंधित विभागों के सचिवों , सीबीआई और केन्द्रीय मंत्रियों और उच्चाधिकारियों को भी पत्र भेजा है | हम यह जिलाधिकारी , बलरामपुर को भेजे गये पत्र का मूल पाठ प्रस्तुत कर रहे हैं –
सेवार्थ ,
श्रीमान जिलाधिकारी महोदय
बलरामपुर [ उत्तर प्रदेश ]
विषय – फारेस्ट गार्ड और वाचर से हम मजदूरों को हजारों रुपये मजदूरी दिलाने की मांग |
महोदय ,
निवेदन है कि हम मजदूर बलरामपुर जिले के हर्रय्या थानान्तर्गत ग्राम – मैनडीह और टेंगनवार नामक ग्रामों के निवासी हैं | मेहनत – मजदूरी करके स्वयं और परिवार का किसी प्रकार गुजर – बसर करते हैं | हम लोगों से सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग के बनकटवा रेंज के पूर्व फारेस्ट गार्ड श्री नूरुल हुदा जो अब उक्त वन प्रभाग के जनकपुर [ निकट तुलसीपुर ] रेंज में तैनात हैं और टेंगनवार चौकी के वाचर श्री सिया राम ने बनकटवा रेंज सीमा में मनरेगा के तहत इसी वर्ष [ 2014 ] 13 जनवरी से 26 मार्च के बीच विभिन्न अवधियों में वृक्षारोपण और झाड़ी की सफ़ाई के काम कराये थे | हम मज़दूरों से दो – ढाई महीने तक काम कराये गये , लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी हजारों रुपये मज़दूरी का भुगतान नहीं किया गया है |
जब हम लोग फारेस्ट गार्ड महोदय से पैसे मांगने जाते हैं , तो देने से इन्कार कर देते हैं और कहते हैं कि नहीं दूंगा , क्या कर लोगे ? यह धमकी भी देते हैं कि बार – बार मांगने आओगे , तो जेल भेजवा दूंगा | पता चला है कि हम लोगों की मजदूरी फर्ज़ी दस्तखत और अंगूठा लगाकर अर्थात फर्जी बाउचर्स बनाकर हड़प ली गई है |
हम प्रार्थी गण को न्यूनाधिक एक से ढाई महीने की मजदूरी नहीं मिल पाई है | विवरण निम्नलिखित है – केशव राम पुत्र राम धीरज [ ग्राम – मैनडीह ] ने 70 दिन काम किया , जबकि इसी गाँव के राम वृक्ष पुत्र पट्टे ने 60 दिन | टेंगनवार गाँव के शंभू यादव पुत्र राम धीरज ने 40 दिन काम किया | इसी गाँव के खेदू यादव पुत्र ननकऊ यादव ने 50 दिन काम किया | टेंगनवार के ही कृपा राम यादव पुत्र खेदू यादव ने 40 दिन , शिव वचन यादव पुत्र श्याम नारायण यादव ने 40 दिन , मझिले यादव पुत्र कल्लू ने 39 दिन , राम प्यारे यादव ने 30 दिन , राम बहादुर यादव पुत्र राम यश यादव ने 25 दिन , संतोष कुमार यादव पुत्र जग नारायण यादव ने 22 दिन और बडकऊ यादव पुत्र भगवती यादव ने 20 दिन काम किया | रामफल पुत्र फेरन ने 20 दिन काम किया |
वनाधिकारियों और कर्मचारियों ने बहुत शातिराना ढंग से धन हड़पने का काम किया | एक अन्य वाचर राम किशुन पुत्र झगरू के द्वारा दूसरों के जॉब कार्ड और बैंक पासबुक इकट्ठा कराए गए और जिन लोगों ने मजदूरी की ही नहीं उनके नाम पर हम लोगों के हज़ारों रुपये उठा लिए गए | इस प्रकार फर्ज़ी तौर पर हम गरीबों के पैसे नूरुल हुदा जी,सियाराम जी और राम किशुन ने हड़प लिए | इस भ्रष्टाचार कांड में अन्य वनाधिकारियों एवं अन्य की संलिप्तता की अधिक संभावना है | पूर्व रेंजर अशोक चन्द्रा जी ने काम के दौरान हम सभी मज़दूरों के फोटो खिंचवाए थे , जो हमारे काम करने का पुष्ट प्रमाण है |
आपसे अनुरोध है कि हम प्रार्थी गण को तत्काल मजदूरी दिलवाने , पूरे मामले की जाँच कराने की कृपा करें एवं दोषी – भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करके दंडित करें |
दिनांक 31 / 7 / 2014 प्रार्थी गण
केशव राम , राम वृक्ष , मझिले यादव , राम बहादुर , बड़कऊ यादव , कृपा राम , खेदू यादव , राम प्यारे , शिव वचन , शंभू यादव , संतोष कुमार यादव और रामफल |
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments